आज फिर चाहत जगी,
शब्दों की माला पिरोने की,
हुआ दिल,
कुछ ऐसा लिखें,
जो लिखा न जाये,
पर,
सब कुछ कह जाए,
कुछ दास्ताँ सा,
नानी की कहानी सा,
सोने की चिड़िया का,
परियों के देश जाने सा,
हातिम की कहानियों सा,
पर,
शब्द ही नहीं हैं,
निःशब्द हो गया हूँ मैं,
इन शब्दों में खो गया हूँ मैं||